पोरवाल ध्वज गान
पोरवाल ध्वज गान पोरवाल ध्वज तुझको करें प्रणाम् ।
केसरिया रंग मन को भाये, श्री सम्पन्न स्वास्तिक छाये ।
सभी घटक मिले वन्दन गायें, कीर्ति बने ललाम ।।
पोरवाल ध्वज तुझको करें प्रणाम् ।
वैश्यों में पोरवाल शिरोमणी, बनी पताका मम चिन्तामणी ।
इसके नीचे हो आरोहण, गति होवे अविराम ।।
पोरवाल ध्वज तुझको करें प्रणाम् ।
पोरबन्दर से उद्गम पाया, प्राग्वाट् का राज्य बनाया ।
संघर्षों से स्वयं सजाया, छोड़ प्रपंची काम ।।
पोरवाल ध्वज तुझको करें प्रणाम् ।
अत्याचारी शासक आये, हमको कभी झुका न पाये ।
सत्य अहिंसा ही अपनाये, सदियाँ बीति तमाम ।।
पोरवाल ध्वज तुझको करें प्रणाम् ।
धरिनाशाह, हेमचन्द्र से शासक, टोडरमल से वीर प्रशासक ।
तेजपाल, वस्तुपाल उपासक, अमर जाति का नाम ।।
पोरवाल ध्वज तुझको करें प्रणाम् ।
पोरवाल, पुरवार एक हैं, पुरवालों की यही टेक है ।
रक्त शुद्धता कार्य नेक है, होवे नाम सुनाम ।।
पोरवाल ध्वज तुझको करें प्रणाम् ।
अपने ध्वज को अमर करना है, प्रेम सुधा जग में भरना है ।
हर सोपान नया चढ़ना है, ध्वज है बद्रीधाम ।।
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