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श्री जांगड़ा पोरवाल समाज , जिला - मन्दसौर (मध्यप्रदेश) आपका हार्दिक स्वागत करता है.

जच्चा गीत


अगरनी
रुक्मण की अगरनी में राम्चन्द्र आया
राम भी आया न लक्ष्मण भी आया
तो भई हो भरत जी ने संग क्यो नि लाला रुक्मण कि
पेलो मास गोरी धन ने लाग्यो ।दुजे मास गोरी धन ने लाग्यो
तो आल भोले मन जावा हो लाग्यो तो थुकड़ते मन जावा  हो लाग्यो
रुक्मण की अगरनी में राम्चन्द्र आया
 नोट- ऊपर लिखे अनुसार नौ महीने का नाम लेना है ।

 दही बड़ा
धन से पेलोमासज लाग्यो। धन ने दूजो मासज लाग्यो
म्हारा आल भोले मन जावे जी।
म्हारो थूकतड़े मन जावे जी बहू रानी ने दही- बड़ा भावे।
मूंगा  रो दाल गलाजो । तिल्ली रो तेल मँगजो जी
बहू रानी ने दही------------------
गांया से दूध मँगजो। कुण्ढ़ा में दही जमजो जी
बहू रानी ने दही------------------
इमली की चटनी बनाजो बहू रानी बठे जीमाजो जी
बहू रानी ने दही------------------

आम गीत
ससुरा जी म्हारा पेटी मँगवा दो हापुस आम की
जी पेलो मासज लाग्यो सेर । आल भोले मन जाय
जी दूजो मासज लाग्यो सेरथूकतड़े मन जाज

ससुरा जी म्हारा पेटी मँगवा दो। कच्ची दाख अनार
नारंगी  म्हाने तुरत मँगवा दो। पेट पड़या नन्द्लालजी
ससुरा जी म्हारा पेटी मँगवा दो हापुस आम की
नोट- आगे नौ महीने का ओर जेठ देवर का नाम लेना है ।
अंगूर गीत
ससुरा जी म्हारा पेटी मँगवा दो हरिया अंगूर को जी
 पेलो मासज लाग्यो सेर । आल भोले मन जाय
 दूजो मासज लाग्यो सेरथूकतड़े मन जाय जी
सासू जी म्हारा पेटी मँगवा दो हरिया अंगूर की
जीपेटी हरिया अंगूर की सेर रुपया लागे साठ
मोरा लागे डढ़सो सेर ये जच्चा का ठाटजी
जेठ जी म्हारा पेटीमँगवा दो हरिया अंगूर की
नोट- आगे नौ महीने का नाम लेना है ।
सीताफल गीत
सुसराजी पुछे जी भँवर म्हारा सासुजी पुछे जी
बहू थाने कांई कांई भावे आज । वो फल मंगवादांजी।
अन्न नहीं भावे जी सासुजी म्हारो जीव घबरावे
ओजी म्हारा पेट पढ्या नन्दलाल सीतफल भावेजी
नोट – आगे घर वालों का नाम लेवना ।

नारंगी गीत
म्हारी धन ने पेलो दूजो मास नारंगी- नारंगी करे
म्हारी धन ने तिगन्यो चोथो मास नारंगी- नारंगी करे ।
उठो राजिद जावो बागा माय मालन खीड़की खोलसी जी
आवो कँवर बेठो म्हारे पास कायरे कारण अवियाजी
म्हारी धन ने पेलो दूजो मास नारंगी- नारंगी करे
म्हारी धन ने तिगन्यो चोथो मास नारंगी- नारंगी करे ।
सारी रा लागे सवा लाख आधी रा लागे देवा ड़ेढ़ सो जी
पेली खाई खाटी लागी दुसरी खट्मीठी लागी
तीसरी सवाद लागी चौथी चतरभुज जनमियाजी
नोट- आगे नौ महीने का नाम लेवना ।
घेवर गीत
घर का राजिद घर मे रेता कदियन बाहर जाता हो राज
साध लगीजी म्हारे घेवर को ।
ले दुपट्टो बजार में चाल्या अबतो घेवर करस्या हो राज
साध लगीजी…………
कोठी खोलकर गहुंड़ा जी काड़या घमड़ घमड़ पिस्या हो राज
साध लगीजी…………
बोरी खोलकर शक्कर काढ़ी अबतो घेवर करस्या हो राज
साध लगीजी…………
डब्बो खोलकर घीरत काढ्यो अबतो घेवर करस्या हो राज
साध लगीजी…………
पड़ोसन की तुही म्हरी बेनड़ थारी कड़ाई देदे राज
साध लगीजी…………
खद बद खद बद घेवर सीजे, भर भर कियां लेचे हो राज
साध लगीजी…………
जितने घेवर ठण्डो हौय पानीड़ो भरलाऊ हो राज
साध लगीजी…………
पानी भरकर पीछी आई, सामा मिल गया सायब राज
साध लगीजी…………
उठो गोरी पानी पावो घना तिसालू हे भरतार
साध लगीजी…………

म्हारी राजीद सरदा नाहीं थे ही भरकर पीलो राज
साध लगीजी…………
हाथ पकड़कर उभी करदीनी पहिया सो गुड़कायो राज
साध लगीजी…………
आधो थांको आधो म्हाको सासूजी ने मत कीजो राज
साध लगीजी…………
जो रांया की घीय जनो तो घेवर परगट करस्या हो राज
साध लगीजी…………
जो रांया की पुत जनो तो घेवर और छ्टावां राज
साध लगीजी…………
घेवर- घेवर जच्चा खावे बलदाऊ बाटी कड़ाई हो राज
साध लगीजी…………
सामा मिल गया श्री कृष्णजी बीरा बाई यां कांई कुबद कमाई राज
साध लगीजी म्हाने घेवर की ।
थारी भावज बेटो जायो म्हे चाटी कढ़ाई राज
साध लगीजी म्हाने घेवर की।

घूगरी गीत
बाई हो काठा गहु की घुगरी रंधाय कोई बाजा गहु की लापसी बाई हो
बाई हो तेड़ो-तेड़ो नाई कारी नार म्हारी नगर बटाओ घुगरी
तू तो आबो नाई का बेठो म्हारे पास शहर बटाओ घुगरी
तू तो दीजे-दीजे सगला ही सेर म्हारी ननदल मत दो घुगरी ।
यो तो नाई कारो असल गिवार, म्हारी ननदल दे दी घुगरी ।
तू तो आवो नाई का बेठो म्हारे पास तू किस विधबाटी घुगरी
म्हेतो बाटी बाटी सगले ही सेर बाई के झाडियो टोकरो जीकाराज
थे तो उठो सायब लिलडी पलानो म्हारी पाछी लावो घुगरीजी
म्हाराराज
वो तो चाल्या छोटे माझलड़ी सी रात कोई दिनड़ो उगाया बाई रा देस में
थे तो आबो बीरा बेठो परसाल असुरा किस विध आईया
बाई ये थारी भावज ओझा घार की धीय वा पाठी मांगे घुगरीजी।
बीरा रे बालुड़ा ने राखूं बिलमाय थारी सारी लेजा घुगरीजी।
बीरा रे जो म्हे हो तो निर्धनियां री नार कठांसू लातीघुगरीजी
बीरा रे हेड़ू म्हारी गंगा जमना पोल म्हे नितकी रांधूं घुगरी
बीरा रे सुसराजी या भरया हे भंडार म्हे नितकी रांधूं घुगरीजी
बाई हो बीरो म्हारो सावनिया रो मेह वा भावज जल की माछली
बीरा रे बरसन लाग्यो सावनिया रो मेह वा फदकन लागी माछलीजी।
सूंठ-अजवान गीत
सवा मन सूँठ अढाई मन अजमा
दोय मिल खांडा धमको लोग सुनेगा
सासुजी सुनेगा तो वे भी दोड़या आवेगा
वे भी दोड़या आवेगा न दस दिन रेवेगा
दस दिन रेवेगा न दस मन खावेगा
जापो बिगड़ी घर जाय हो पियाजी धमको लोग सुनेगा
माता बाई सुनेगा तो वे भी दोड़या आवेगा
वे भी दोड़या आवेगा न दस दिन रेवेगा
दस दिन रेवेगा न दस मन खावेगा
जापो सुधरी घर जाय हो पियाजी धमको लोग सुनेगा
नोट- जेठानी, देरानी, बहन व भाभी का नाम लेना।

शक्कर का हल्वा
कोई मांगे कढैयां न दे जच्चा का दिल हलवे में
कोई मांगे कढैयां न दे जच्चा का दिल हलवे में
जैसे भी तैसे मैने रवा मंगाया सासुजी घीरत न दे
जच्चा का दिल हलवे में कोई मांगे
जैसे भी तैसे मैने घीरत मंगाया, भाभी जी शक्कर ना दे
जच्चा का दिल हलवे में कोई मांगे
जैसे भी तैसे मैने शक्कर मंगाई, देराअनी कढाई न दे
जच्चा का दिल हलवे में कोई मांगे
जैसे भी तैसे मैने कढाई मंगाई, बाई जी खोचो न दे
जच्चा का दिल हलवे में कोई मांगे
जैसे भी तैसे मैने हलवा बनाया,सायब जी खाने न दे
जच्चा का दिल हलवे में कोई मांगे
जैसे भी तैसे मैने हलवा भी खाया ,हालरीया पचने न दे
जच्चा का दिल हलवे में कोई मांगे
सूरज पूजा
आगरो ने घाघरो मंगा दो रसिया मंगा दो रसिया म्हेतो सुरज  पूजन जाऊंगी।
मैं तो सुरज पुजती न सखियां मंगल गावती तो बधाई में पेड़ा बटा दो
रसियाहोबटा
दो रसिया म्हेतो सुरज  पूजन जाऊंगी।
तांबे के हण्डे मे ताता सा पानी गरम-गरम पानी से न्हिलावो रसिया
हो न्हिलावो रसिया मैं तो सुरज…………………………
सोने की थाली मे भोजन परोसा तो गरम-गरम हलवा खिलादो
रसिया
हो खिलादो रसिया मैं तो सुरज…………………………

जीठानी गीत
आज म्हारे लिपन पोतनिया लिपन पोतनियां।
वे आज म्हारे सब कोई आवो के वे मेरी गोतनिया
सासूजी बुलाऊं सवेरियां धनद दोफरिया
वे जीठानी बुलाऊ सवी साँजका वा मेरी गोतनिया
सासु बेठाऊं आटलियाँ ननद खाटलिया
वे जिठानी ने राखू पड़दा मायके वा मेरी गोतनियां।
सासु जीमाऊं लापसिया, ननद खिचडियाँ।
वे जिठानी ने मोती चुरयो भात के वे मेरी गोतनियां।
सासू ओढाऊ चुन्दड़िया ननद पोमचियाँ,
वे जिठानी ने नवरंगो घाट के वे मेरी गोतनियां।
सासू ने खर्चा अधलिया ननद पावलियो
वे जिठानी ने खर्चा सवा लाख के वे मेरी गोतनियां।
सासू रा जाया देवरिया, ननद भानेजिया,
वे जिठानी रा जाया मेरा लाला के वे मेरी गोतनियां।
सासू पोचाऊं सेवेरिया, ननद दोफरिया,
वे जिठानी ने राखू दिन दस के वे मेरी गोतनियां।
सासूजी चालया हरकता, बाईजी मूलका जी।
वे जिठानी तो चाली मुंमचकोड़ के वे मेरी गोतनियां।

दाई गीत
कठा से आयो नाई कठा से आयो दाई
कठा से आयी ये नाना थारी भुआ बाई
मथुरा से आयो नाई गोकुल से आयी दाई
हस्तिनापुर से आयी ये नाना थारी भुआ बाई।
वो कहां उतारु नाई ,वो कहां उतारु दाई
वो कहां उतारु ये नाना थारी भुआ बाई
ओटले उतारु नाई ,वो कमरे उतारु दाई
आंगन उतारु ये नाना थारी भुआ बाई।
वो कांई मांगे नाई वो कांई मांगे दाई
वो कांई मांगे ये नाना थारी भुआ बाई।
पांच मांगे नाई पच्चीस मांगे दाई
दो चन्दन हार मांगे ये नाना थारी भुआ बाई।
पांच देस्या नाई पच्चीस देस्या दाई
वो एक अठ्न्नी देस्या नाना थारी भुआ बाई।
आंगन मे बेठी बाई बाहर से आय भाई –बेन
क्यो रुसी ये तु म्हारी जामण  जाई।
पांच देस्या नाई पच्चीस देस्या दाई
वो एक अठ्न्नी देवे म्हारे साजनीया री जाई।
वो पांच देस्या नाई पच्चीस देस्या दाई वो
चन्द्रहार देवा बेन हारी जामण जाई।
वो राजी हो गयो नाई वो खुशी हो गैई दाई
वो नाचने लगगयी रे नानी थारी भुआ बाई।
जच्चा गीत - 1
मेरी छोटी जच्चा ने जुलम किया
अंग्रेजी जापा शुरु किया
दाई को बुलाना बंद किया नर्सो को बुलाना शुरु किया
मेरी छोटी जच्चा ने जुलम किया
नोट- आगे सासु ,जेठानी सभी का नाम लेना।

जच्चा गीत - 2
अपनी भुआ का मुन्ना बना रे भतीजा
झुलझुलावे वाकी दो-दो भुआ
सासु जो आवे चरवा धरावे चरवा धरावे
बच्चा जुग जुग जीये मुन्ना बना रे भतीजा
अपनी भुआ का मुन्ना……
नोट – आगे सास, जीठानी आदि के नाम लेवना

पगलियो का गीत
उड़ उड़ ये म्हारी लाल सारसड़ी
सरगा बधाई दीजोजी
नाम न जानू गांव न जानू
किन घर देऊं बधाई जी
नाम वासुदेवजी गांव बेकन्लपुरी
उनके देओ बधाई जी
सुनो सुनो जी म्हारा बड़ा दादाजी
थां घर पड़ पोतो जल पियोजी
वा कुलवंती बवड़ तुम्हारी
बंस वधावन जायो जी
दूर सारसड़ी न मोतीये चुगावां
चुन्दड़ल्या राबेस पेरावांजी
हीरा रे थारी चोच जड़ाँवा
पीलारा बेस ओढ़ावांजी
नोट – आगे सभी का नाम लेवना।

9. Blogger



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